
बहुत समय पहले, एक शहर के पास एक पवित्र इमारत थी जहाँ एक बुद्धिमान व्यक्ति रहता था।गाँव में एक आदमी था जो लोगों की चीज़ों को चुरा लेता था।
चोर जवान था और समझदार बूढ़ा हो रहा था। चोर दरअसल धनवान बाप का बेटा था जिसे खाना-पीना बहुत पसंद था। जब बेटे ने चीजें चुराना शुरू किया, तो इससे बहुत परेशानी हुई और इसमें शामिल सभी लोगों का जीवन मुश्किल हो गया।युवक की शादी नहीं हुई थी।
एक बार की बात है, एक व्यक्ति था जो अपने ही गांव से छोटी-छोटी चीजें चुरा लेता था। लोग उसे कबाड़ चोर कहते थे क्योंकि वह कीमती सामान नहीं चुराता था। हालाँकि उसकी चोरी से कुछ परेशानी हुई, लेकिन इससे उसे या किसी और को वास्तव में कोई फायदा नहीं हुआ। एक दिन चोर ने एक बैग देखा जो उसे लगा कि मंदिर की कीमती चीजों से भरा हुआ है।
उसने सोचा कि उसे इसके साथ क्या करना चाहिए क्योंकि उसका मानना था कि इसके लिए कड़ी मेहनत किए बिना वह इसके लायक था। बगुला भगत नाम का एक चोर था जो साधु महाराज के पास जाने लगा। साधु महाराज बगुला की भक्ति से बहुत प्रसन्न होते थे और चोर दिन भर खड़े होकर उनकी सहयता व् सेवा करता ।
साधु महाराज जानते थे कि चोर खड़ग सिंह नहीं था, बल्कि स्क्रैप चोरी करने वाला चोर था। साधु महराज जानते थे कि दिन के समय उन्हें चोर से कोई खतरा नहीं है और रात में वे उसे मुँह नहीं लगाएगा |
एक दिन जब वो रात होने पर भी नहीं उठा तो वो और साधु महाराज रात भर करवट बदलते रहे। चोर दांव की मंछा से साधु महाराज बोरी बचने की मंछा से। साधु रात भर नींद की तेज आवाज कर रहा था। रात भर बैग ढूंढ़ते-ढूंढते चोर थक गया।
रात भर बैग ढूंढ़ते-ढूंढते चोर थक गया। देर रात अकेले रह रहे साधु महाराज ने अपने अंदर से आवाज सुनी कि उसने गलत किया है और वह अपने बैग से बहुत ज्यादा जुड़ा हुआ है। उन्हें मन की आवाज ने उस एक चोर को बैग देने के लिए कहा, जिसे उसकी जरूरत से ज्यादा जरूरत थी।
अंततः एक बार एक चोर कबाड़ का एक बड़ा थैला चुरा ले गया। वह इसे पाकर बहुत खुश था और बहुत स्वस्थ महसूस कर रहा था। हालाँकि, उस रात वह अपनी झोपड़ी में नींद से नहीं जागा। अगली सुबह, वह अभी भी सो रहा था और तभी उठा जब मुर्गे ने बाँग दी।
उसी रात को चोर को एहसास हुआ कि भगवान ने हमें बहुत सी चीजें दी हैं जैसे हमारी आंखें, हाथ, पैर और सामान।
उसने सीखा कि चोरी करना बुरी बात है और इससे लोगों को चोट पहुँच सकती है। यहां तक कि अगर हमें लगता है कि हम कुछ करके बच सकते हैं, तो सही काम करना बेहतर है।हमें उन का साई कार्य के लिए उपयोग करना चाहिए न की ठग्गी चोरी के लिए।
चोर ने महसूस किया कि अच्छे इरादे होना महत्वपूर्ण है और इससे एक लंबा और सुखी जीवन व्यतीत हो सकता है। उन्होंने यह भी सीखा कि साझा करना और दूसरों की मदद करना महत्वपूर्ण है।
वहीँ साधु ने थैला रात को बाहर छोड़ने की बजाय भीतर लाने का निश्चय किया। सुबह साधु महाराज ने देखा कि थैला तो वहीं पड़ा है, लेकिन जो व्यक्ति आमतौर पर कबाड़ लेता था वह वहां नहीं था।
यह व्यक्ति कबाड़ चुराता था, लेकिन आज उन्हें अपराध बोध हुआ और उन्होंने उन चीजों को लेने से रोकने का फैसला किया जो असल में उन की है ही नहीं थी ।